Oct 10, 2009

कखन हरब दुःख मोर हे भोला नाथ

कखन हरब दुःख मोर हे भोला नाथ |
दुखहि जनम भेल दुखहि गमएब
सुख सपनेहु नहि भेल, हे भोलानाथ ||
आछत चानन अबर गंगाजल
बेलपात तोहि देब, हे भोलानाथ |
यहि भवसागर थाह कतहु नहि
भैरव धरु कर आए, हे भोलानाथ
भन विद्यापति मोर भोलानाथ गति
देहु अभय वर मोहि हे भोलानाथ ||

करय चलल महुअक हर हे कोबर घर

करय चलल महुअक हर हे कोबर घर,
माइ हे, खीर खाँड़ नहि खाथि, के भाँग भकोसल |
सासु जे महुअक राँधल से सेराओल,
माइ हे, सरहोजि मुह मध ढार, कि जोग जनाओल
सासु सरहोजि बैसलि घेरि छवि हेरि हेरि,
माइ हे, सुखसं कर परिहास, कि हरसं बेरि बेरि |
भनहि वियापति गाओ़ल, सुख पाओल,
गौरिक पुरल भाग, मिलल वर शंकर ||

|| ज़िन्दगी कहती है ज़िन्दगी
से के अगर साथ रहा ज़िन्दगी का
तो साथ रहेगी ज़िन्दगी के ||
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