Sep 30, 2009

जय जय भगवती

जय जय भगवती जय महमाया |
त्रिपुर सुन्दरि देवि करू दाया || आहेमता ||
दालिम कुसुम सम अ तनु छवि |
तखने उदित भेल जनि रबी ||
धनुसर पास अंकुस हाथ |
तेतिस कोटि देव नाव माथ ||
चंगिम उपमा केओ पाव |
काम रमनि दासि पद पाव ||

जय जय भैरवि असुर-भयाउनि

जय जय भैरवि असुर-भयाउनि
पशुपति - भामिनी माया |
सहज सुमति वर दिअओं गोसाउनि
अनुगत गति तुअ पाया ||

वासर रैन शवासन शोभित
चरण चन्द्रमणि चूडा |
कतओक दैत्य मारि मुख मेलल
कतओं उगिलि कैल कूड़ा ||

सामर वरन नयन अनुरंजित
जलद जोग फूल कोका |
कट कट विकट ओठ फुट पाँड़रि
लिधुर फेन उठ फोका ||

घन घन घनन नुपुर कत बाजय
हन हन कर तुअ काता |
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
पुत्र बिसरि जुनी माता ||

Sep 25, 2009

जय जय भगवती

जय जय भगवती भीमा भवानी |
चारि वेदें अवतरु ब्रह्मानी ||
हरी हर ब्रह्मा पुछइते भमे |
एकओ न जान तुअ पद मरमे ||
भनइ विद्यापति राइ मुकुटमनि |
जीबओ रूपनारायण नृप-धरनि ||

जोगिया मन भावइ हे मनाइनि

जोगिया मन भावइ हे मनाइनि |
आएल बसहा चढि विभूति लगाए हे |
मन मोर हरलनि डमरू बजाए हे ||
सुन्दर गात अजरापति से नाहे |
चित सों नइ छूटथि जानथि किछु टोना है ||
तीनि नयन एक अगनिक ज्वाला हे |
भाल तिलक चन फटिकक माला हे ||
ओह सिंहेस्वरनाथ थिका मोर पति हे |
विद्यापति कर मोर गौरिहर गति हे ||

भल हर भल हरि भल तुअ कला

भल हर भल हरि भल तुअ कला |
खन पितबसन खनहि बघछाला ||
खन पंचानन खन भुज चारि |
खन संकर खन देव मुरारि ||
खन गोकुल भए चराइअ गाए |
खन भिखि मांगिअ डमरू बजाए ||
खन गोविन्द भए लिअ महादान |
खनहि भसम भारू कांख बोकान ||
भनइ विद्यापति बिपरित बानि |
ओ नारायण ओ सुलपानि ||

मंगले बिलहिअ सिंदूर पिठारे

मंगले बिलहिअ सिंदूर पिठारे |
तोहें भलि सोम्पलि साजि भरि छारे ||
चलह चलह हर पलटि दिगंबर |
हमार गोसाउनि तोहें न जोग वर ||
हरहु चाहि गुरु गउरवे गोरी |
की करब त जयमाल तोरी ||
नअने निहाराब सम्भ्रम लागी |
हिमगिरि धिअ सहब कइसे आगी ||
भाल बरइ नयनानल रासी |
झरकत मउंल डाढति पट्वासी ||
बड़े सुखें सासू चूमओबह मथा |

Sep 24, 2009

भंगिया हे भिखारी सोचत मैना

भंगिया हे भिखारी सोचत मैना
एहन रतन धिया तनिक एहन पिया
किए लिलाट लिखल विधना |
एहन गौरी कोना तपोवन जैती
नहि छनि सासु ननदि भगिना |
की हम बिगाड़ल नारद मुनिके
वर जोहि लैला छिया केहना |
भनइ विद्यापति सुनु हे मनाइनि
ई शिव थिक भुवन दानी ना |

बुढ़हु बएस हर बेसन न छड़ले

बुढ़हु बएस हर बेसन न छड़ले, की फल बसह धबाइ |
भाग भेल सिव, चोट न लगले, के जान की होइत आइ |
बसह पड़ाएल, के जान कतय गेल, हाड़-माल की भेल |
फूटी गेल डमरू, भसम छिडिआयल, अपथे सम्पति दूर गेल |
हमर हटल सिव तोहहि न मनाह अपना हठ बेबहारे |
सगरो जगत सबहु काँ सुनिअ घरनिक बोल नहि टारे |
भनइ विद्यापति सुनह महेसर इ जानि अयलाहु तुअ पासे |
तोहरा लग सिव बिघिन बिनासब आनक कोन तरासे |


पीसल भाँग रहल एहि गती

पीसल भाँग रहल एहि गती |
की लए मनाएब उमता जती ||
आन दिन निकहि छलाह मोर पती |
आइ बढाए देल कओन उदमती ||
आनक नीक अपन हो छती |
ठामें एक ठेसता पड़त विपती ||
भनहि विद्यापति सुनु हे सती |
ई थिक बाउर त्रिभुवनपति ||

बुढ़बा हे रंग रसिया

बुढ़बा हे रंग रसिया | जतय गौरी देखु ततय बिहुसिया |
बुढारी वयस हरकें बालक भेल | नहिं घर उबटन नहिं घर तेल |
मग्निक साड़ी देलन्हि ओछाय | चन सूर्य देल देहरि बैसाय |
भनहि विद्यापति सुनिय महेसिया | हरके चरित्र देखि हंसथी परोसिया |

पाहुन आएल भावनी

पाहुन आएल भावनी
बाघ छल बइसए दिअ आनी ||
बसह चढ़ल बुढ़ आबे
धुथुर गजाए भोजन हुनि भाबे ||
भसम विलेपित अंगे
जटा वसथि सिर सुरसिर गंगे |
हाड़माल फणीमाल सोभे
डंबरू बजाव हर जुवतिक लोभे ||
विद्यापति कवी भाने
ओ नहि बुढ़बा जगत-किसाने ||

मांगि-चांगि लयलाह

मांगि-चांगि लयलाह माइ हे तामा दुइ मिसिआ |
एक चरित्र देखि हँसय परोसिया ||
भनहि विद्यापति सुनिय भवानी |
एहन पाहुन माइ हे नित दिन आनी ||

बाँधय विकट जटा

बाँधय विकट जटा |
तथिहुं चंदिन फोटा ||
कत जग सहस वयस नहि गेला |
उमत महादेव समत न भेला ||
मौलि मेलिए छार |
सहज न तेजए पार ||
सुकवि विद्यापति गाऊ |
जिवओ सिवसिंह राऊ ||

बेरि बेरि अरे सिव

बेरि बेरि अरे सिव
मोए तोहि बोलाबे
किरिसी करिअ मन लाए |
बिनु सरमे रहिअ
भिखिए पए मांगिअ
गुण गउरव दूर जाए ||
निरधन जन बोलि
सबे उपहासए
नहि आदर अनुकम्पा
तोहें सिव पाओल
आक धुथुर फूल
हरि पाओल फूल चम्पा ||
खटड़ काटि हर
हर बन्धाबिअ
तिसुल तोड़ीअ करू फारे |
बसह धुरन्धर
लए हर जोतिअ
पटिअ सुरसरि धारे ||
भनइ विद्यापति
सुनह महेसर
इ जानि कएल तुअ सेवा |
एतए जे बरु होअ
से बरु होअओ
ओतए सरन मोहि देबा ||

Sep 16, 2009

पाहुन नंदि भवानी

पाहुन नंदि भवानी |
आज पाहुन नंदि भवानी ||
माइ हे बैसक देलन्हि बघम्बर आनी |
आज पाहुन नंदि भवानी ||
घर नहि सम्पति घृत नहिं गोरस |
पाहुन आनल माइ हे कौन भरोस ||
हर माला लय धरथि ध्यान |
पाहुन जमय माइ हे पहिले साँझ ||

Sep 15, 2009

परतह पूछ मोहि बाढ़लि भवानी

परतह पूछ मोहि बाढ़लि भवानी |
कतिएक भेलि, देखए देह आनी ||
भीखि बेआज मोर आब |
मनमोहन जोगिआ भाल गाब ||
ए माइ (ए माइ) अजगुत लागु |
सूतलि गौरि जोगिआ देखि जागु ||
जोहि जोगिआ देखि दूरहि पड़ाइ |
तोहि जोगिआ कोर गौरि खेलाइ ||
भनइ विद्यापति मन्दाइनि सुनु |
इ जोगिआ बर होयत पुनु-पुनु ||

प्रथमहि शंकर सासुर गेला

प्रथमहि शंकर सासुर गेला
बिनु परिचय उपहास पड़ला
पुछिओ न पुछ्लके बैसलाह जहाँ
निरधन आदर के कर कहाँ ||
हेमगिर मंडप कौतुक वसी
हेरि हँसल सबे बढ़ तपसी ||
से सुनी गौरि रहलि सिर नाए
के कहत माँ के तोहर जमाय ||
साँप शारीर काख बोकाने
प्रकृति औषध केदहु जाने ||
भनइ विद्यापति सहज कहू
आडम्बरे आदर हो सबतहू ||

पंचवदन हर भसमे धवला

पंचवदन हर भसमे धवला |
तीनि नयन एक बरए अनला || ध्रुo ||
धुखें बोलय भवानी |
जगत भिकारी मिलल हमे सामी ||
विषधर भूषण दिग परिधान ||
बिनु वितें ईसर उगना ||
भनइ विद्यापति सुनह भवानी |
हर नहि निरधन जगतक सामी ||

पंचानन पुर मथन भयंकर

पंचानन पुर मथन भयंकर, शंकर नाम कओने धरिआ |
तिनी नयन हर एक हुताशन, न जान कओने कुल अवतरिआ ||
माय न बाप सांप संगे खेलय, मेलय भसम दिगन्त भरी |
मनमथ मारि नारि आलिंगए, उमत बुझाओव् कौने परी ||
पावनि गांग मथा जदि थोवहि, गोवहि काइ जटा विघनी |
संसय तोरि जे गोरि बुझावय, इथि अनुचित अनुचित अपनी ||
भनइ विद्यापति सुनह मदाइनि, कौने बुझाऔत जगत गुरु |
राजा शिवसिंह रूपनारयण सकल याचक-जान-कलपतरु ||

Sep 11, 2009

सिव हो नैहर आब हम जायब

नैहर आब हम जायब सदाशिव | नैहर आब ||
पडिबा तिथि हम जात्रा कयकं, दुतीय गमन करायब ||
सिव हो नैहर आब हम जायब, सदासिव नैहर आब ||
तृतीया में हम पथहिं बितायब
चौठिमे काज़र लगायब
सिव हो नैहर आब हम जायब | सदाशिव नैहर आब ||

पँचमि चन्दन अंग लगायब
षष्ठी वेळ तरु जायब
सिव हो नैहर आब हम जायब, सदाशिव नैहर आब ||
नवपत्री संग सप्तमी प्रातमे
भक्तक घर हम आयब
सिव हो नैहर आब हम जायब, सदासिव नैहर आब ||

अष्टमी दिन महा पूजा निसि बलि
लय लय भत्तु जगायब
सिव हो नैहर आब हम जायब | सदाशिव नैहर आब |
नवमी में तिरसुलक पूजा
बहु विधि बलि चढ़वाएब
सिव हो नैहर आब हम जायब | सदाशिव नैहर आब ||

नवो निधि सेवक के दय क
दसमी कलस उठायब,
सिव हो नैहर आब हम जायब | सदाशिव नैहर आब ||
भनइ विद्यापति-जननी कहल सिव,
फेरि आपण गृह आए़ब
सिव हो नैहर आब हम जायब | सदाशिव नैहर आब ||

Sep 10, 2009

नाड़ट जन्मभिखारी

नाड़ट जन्मभिखारी, वर के कर एहन |
जकरो घर दुइ चारि कुमारि, सेहो वर करए विचारी |
एहन उमतवर के जोहि आयल, हम घर एक दुलारि |
भोजन भाँग विभूति लगाबथि, परिजन भूत मसान |
जखन गौरी सौं भीखि मंगओंता, हरता धियाक गेयान |
कुल परिवार एको नहि थिकइनि, घर सम्पति नहि माय |
जखन गौरि मोरि सासुर जैतहि, बैसति ककर लग जाय |
भनइ विद्यापति सुनिय मनाइन, इहो थिक त्रिभुवन नाथ |
हिनक दोष रोष जनु मानिय, हिनि सौं होयब सनाथ ||


सागर सम दुःख भार हे
आबहु करिअ प्रतिकार हे |
भनइ विद्यापति भन हे
संकट करिअ तरान हे |

Sep 9, 2009

दोला तर

दोला तर नबइते ससि खसि पडू
भाघछालं गेल छिडिआइ |
तेहि अमिउ रसें मृगरिपु जिबि उठु
भागें मोउ अएलांहू पडाइ ||
दोसर विधि पडिचान चढि बइसलाहे
जखने दिगम्बर आइ रे |
लाजक लेलि गोरि नहि आबए
सखि सबे गेलि पडाइ ||
माइ हे माड़ब मोउ नहि जएबे
जहाँ बस उमत जमाइ ||
पएर धोअए खने दूध पिउल फ़नी
हर लागल तसु चोरी |
सबे सबतहु करताल बजाबए
मधुर हांसें हँसू गोरी ||
सासुहि संकरक वदन उन्गारल
आँचर छान्दल ग्रिमपासे
देखि गिरी भाने कुच चढ़लाहे ||

Sep 8, 2009

तोहि कऔने

तोहि कऔने बुधि देल हे उमता |
ललिमा धाम तेजि बसह मसाने
अमिउ न पिबह करह बिसपाने |
चानन नहि हित विभूति-भूसने
मनि न धरह फ़नि कउने भूसने |
हय गज रथ तेजि बसह पलाने
पलंग न सुतह भूमि-सयाने |
भनइ विद्यापति विपरित काजे
अपने भिखारि सेवक दिअ राजे |

तोहें प्रभु

तोहें प्रभु त्रिभुवन-नाथ हे
हम निरदिस अनाथ हे |
करम धरम तप हीन हे
पड़लहूँ पाप-अधीन हे |
बेड़ भासल मझधार हे
भैरव धरु करुआर हे |

Sep 6, 2009

आगे माइ

आगे माइ, सोने-रुपें छारथि आनक पुतकें गारा देथि मनिमय माल |
अपना पुत लय किछु नहि जूड़नि अनका लय जंजाल |
आगे माइ, भनइ विद्यापति सुनिअ गौरीदेवि दिढ़ करू अपुन गेआन |
इ हर थिक त्रिभुवनपति दानी जग भरि के नहि जान

Sep 5, 2009

डाली कनक पसारल

डाली कनक पसारल
नयनयोग बेसाहल |
नैना कोना आइलि
सकल योग सभ लाइलि ||
हेमत आनल वर पसुपती
एको ने बाजथि दृढमति ||
सुभ सुभ कय सभ भाखीअ
गौरी बसि हर कें राखिअ ||
भनहि विद्यापति गाओल
जोगनिक अंत नहीं पाओल ||

Sep 4, 2009

जोगिया भँगवा

जोगिया भँगवा खाइत भेल रंगिया
भोला बोड़हवा ||

सबके औढ़ाबे भोला साल दुसलबा
आप ओढ़य मृगछ्लबा ||

सबके खिलावे भोला पॉँच पकवनमा
आप खाय भाँग धतुरबा ||

कोई चढ़ाबे बेलपात ||
जोगिन भुतिन सिव के संपतिया

भेरो बजाबे मिरदंगिया |
भनइ विद्यापति जै जै संकर
पारबती गौरी संगिया ||

Sep 3, 2009

आगे माइ

आगे माइ जोगिआ हमार जगत सुखदायक दुःख ककरहु नहीं देथि |

एहि जोगिआकें भंग पिया धतूर खोआ धन लेथि |

आगे माइ, कातिक गनपति दुइज़न बालक जग भरि के नहि जान |

तनिक नहि किछु अभरन थिकइन रति एक सों नहि कान |

Sep 2, 2009

माटी भलि

माटी भलि जोहि कहू आनलि बानी |
शम्भू अराधय चलली भवानी ||

आक धुथुर फूल दय मोयं जोही |
जगत जनमि दर छाडल मोही ||

जे किंकर मोर कि करत अंगे |
रह अपराधी बलिया संगे ||

जे सबे कयल हर सबे मोर दोसे |
से सबे कयल हर तोहरि भरोसे ||

भनइ विद्यापति शंकर सुनु |
अन्तकाल मोहि बिसरह जुनी ||

Sep 1, 2009

मोरा बउरा देखल केहु कतहु जात

मोरा बउरा देखल केहु कतहु जात
बसहा चढ़ल विष-पान खात ||

जाखि निरार मुह चुअइ लार
पथके चलत बौरा विसम्भार ||

बाट जाइते केहु हलब ठेली
आब ओहि बौरे विनु मजे अकेलि ||

हाथ डमरू कर लौआ साथ
जोत जुगुति गिम भरल माथ ||

अरगज चढाय अठहु अंग
सिर सुरसरि जटा बोलइ गंगा ||

|| ज़िन्दगी कहती है ज़िन्दगी
से के अगर साथ रहा ज़िन्दगी का
तो साथ रहेगी ज़िन्दगी के ||
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