Oct 10, 2009

कखन हरब दुःख मोर हे भोला नाथ

कखन हरब दुःख मोर हे भोला नाथ |
दुखहि जनम भेल दुखहि गमएब
सुख सपनेहु नहि भेल, हे भोलानाथ ||
आछत चानन अबर गंगाजल
बेलपात तोहि देब, हे भोलानाथ |
यहि भवसागर थाह कतहु नहि
भैरव धरु कर आए, हे भोलानाथ
भन विद्यापति मोर भोलानाथ गति
देहु अभय वर मोहि हे भोलानाथ ||

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से के अगर साथ रहा ज़िन्दगी का
तो साथ रहेगी ज़िन्दगी के ||
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