मोर निरधन भोला
मोर निरधन भोला |
अपने भिखारि बिलह नहि थोडा ||
फाड़ी कचोटा हर इसर बोलावे |
मगन जना सबे काटि पावे ||
सबे बोल हुनि गर जगत किसाने |
बूढ़ बड़द कुट काँख बोकाने |
भनइ विद्यापति पुछु हुनि दहु |
की लय पोसब दहु परिजन पुत बहू ||
मोर निरधन भोला |
अपने भिखारि बिलह नहि थोडा ||
फाड़ी कचोटा हर इसर बोलावे |
मगन जना सबे काटि पावे ||
सबे बोल हुनि गर जगत किसाने |
बूढ़ बड़द कुट काँख बोकाने |
भनइ विद्यापति पुछु हुनि दहु |
की लय पोसब दहु परिजन पुत बहू ||
Posted by Maithil at 4:28 PM
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