सुनिय डमरू धुनी
सुनिय डमरू धुनी, शिव शिव पुनि पुनि,
आब एत करू बिसराम |
पूजा उपचार लिय, सत्वर गंगाके दिय,
कही देव हमरो प्रणाम|
करतीहि कृपा गंगा सकल कलुख भंगा,
आब जीब परसन भेल |
एतै औतीह सुरधुनी, अपन किन्ड़कर गुनी,
सब पातक दूर गेल |
थाकि गेलि जनी जाति, बेटा बेटी पोता नाती,
कामति कहार संग साथी |
मोर हेतु आउ एत, धन्यवाद लोक देत,
सभ जन हरषि नहाथी |
बहन कवि विद्यापति, दिअ देबि दिव्य गति,
पशुपतिपुर पहुचाय |
गौरि संग देख शिव, कि सुख पाओत जीव,
से आब कहल न जाय ||१||
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