गे माइ
हम नहि आज रहब एहि आँगन जों बुढ़ होयत जमाए | गे माइ |
एक तं बैरी भेल विधि-विधाता, दोसर धिआकेर बाप |
तेसर बैरी भेल नारद बाभन जे बुढ़ आनल जमाए | गे माइ |
पहिलुक बाजन डमरू तोड़ब, दोसरे तोड़ब रुण्डमाल |
बड़द हाँकि बरिआत बैलाएब, धिया लए जाएब पड़ाए | गे माइ |
धोती, लोटा, पतरा, पोथी सेहो सब लेबंहि छिनाए |
जों किछु बजता नारद बाभन दाढ़ी धए घिसिआएब | गे माइ |
भनहि विद्यापति सुनु हे मनाइनि दिढ़ करू अपन गेआन |
सुभ सुभ कए सिरी गौरि बिआहिअ गौरि-हर एक समान | गे माइ |
0 comments:
Post a Comment