Aug 30, 2009

हर जनि बिसरब मो ममिता

हर जनि बिसरब मो ममिता
हर नर अधम परम पतिता
तुअ सन अधम उधार न दोसर
हम सन जग नहि पतिता

जम के द्वार जबाब कओन देब
जखन बुझात निजगुन कर बतिया
जब जम किंकर कोपि पठाएत
तखन के होत धरहरिया

भनहि विद्यापति सुकवि पुनितमति
संकर विपरीत बानी
असरन सरन चरन सिर नाओल
दया करू दिअ सुलपानी |

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से के अगर साथ रहा ज़िन्दगी का
तो साथ रहेगी ज़िन्दगी के ||
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