शिव हे
शिव हे
सेवए अएलाहूँ सुख लागी |
विषम नयन अनुखन बर आगी ||
बसहा परायल आगे |
पइसि पातळ रहल गए नागे ||
ससि उठि चलल अकासे |
गौरि चललि गिरिराजक पासे ||
उचित कहए नहीं जाइ |
उमट अराधब कॉउने उपाइ
विद्यापति कवी सेवा
देथु अभय वर शंकर देवा ||
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