बुढ़हु बएस हर बेसन न छड़ले
बुढ़हु बएस हर बेसन न छड़ले, की फल बसह धबाइ |
भाग भेल सिव, चोट न लगले, के जान की होइत आइ |
बसह पड़ाएल, के जान कतय गेल, हाड़-माल की भेल |
फूटी गेल डमरू, भसम छिडिआयल, अपथे सम्पति दूर गेल |
हमर हटल सिव तोहहि न मनाह अपना हठ बेबहारे |
सगरो जगत सबहु काँ सुनिअ घरनिक बोल नहि टारे |
भनइ विद्यापति सुनह महेसर इ जानि अयलाहु तुअ पासे |
तोहरा लग सिव बिघिन बिनासब आनक कोन तरासे |
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