Sep 9, 2009

दोला तर

दोला तर नबइते ससि खसि पडू
भाघछालं गेल छिडिआइ |
तेहि अमिउ रसें मृगरिपु जिबि उठु
भागें मोउ अएलांहू पडाइ ||
दोसर विधि पडिचान चढि बइसलाहे
जखने दिगम्बर आइ रे |
लाजक लेलि गोरि नहि आबए
सखि सबे गेलि पडाइ ||
माइ हे माड़ब मोउ नहि जएबे
जहाँ बस उमत जमाइ ||
पएर धोअए खने दूध पिउल फ़नी
हर लागल तसु चोरी |
सबे सबतहु करताल बजाबए
मधुर हांसें हँसू गोरी ||
सासुहि संकरक वदन उन्गारल
आँचर छान्दल ग्रिमपासे
देखि गिरी भाने कुच चढ़लाहे ||

0 comments:

|| ज़िन्दगी कहती है ज़िन्दगी
से के अगर साथ रहा ज़िन्दगी का
तो साथ रहेगी ज़िन्दगी के ||
Blog Created By "Maithil" In Search Of Jindgi

  © Blogger template 'Personal Blog' by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP