जोगिया मन भावइ हे मनाइनि
जोगिया मन भावइ हे मनाइनि |
आएल बसहा चढि विभूति लगाए हे |
मन मोर हरलनि डमरू बजाए हे ||
सुन्दर गात अजरापति से नाहे |
चित सों नइ छूटथि जानथि किछु टोना है ||
तीनि नयन एक अगनिक ज्वाला हे |
भाल तिलक चन फटिकक माला हे ||
ओह सिंहेस्वरनाथ थिका मोर पति हे |
विद्यापति कर मोर गौरिहर गति हे ||
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