Sep 1, 2009

मोरा बउरा देखल केहु कतहु जात

मोरा बउरा देखल केहु कतहु जात
बसहा चढ़ल विष-पान खात ||

जाखि निरार मुह चुअइ लार
पथके चलत बौरा विसम्भार ||

बाट जाइते केहु हलब ठेली
आब ओहि बौरे विनु मजे अकेलि ||

हाथ डमरू कर लौआ साथ
जोत जुगुति गिम भरल माथ ||

अरगज चढाय अठहु अंग
सिर सुरसरि जटा बोलइ गंगा ||

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|| ज़िन्दगी कहती है ज़िन्दगी
से के अगर साथ रहा ज़िन्दगी का
तो साथ रहेगी ज़िन्दगी के ||
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