बेरि बेरि अरे सिव
बेरि बेरि अरे सिव
मोए तोहि बोलाबे
किरिसी करिअ मन लाए |
बिनु सरमे रहिअ
भिखिए पए मांगिअ
गुण गउरव दूर जाए ||
निरधन जन बोलि
सबे उपहासए
नहि आदर अनुकम्पा
तोहें सिव पाओल
आक धुथुर फूल
हरि पाओल फूल चम्पा ||
खटड़ काटि हर
हर बन्धाबिअ
तिसुल तोड़ीअ करू फारे |
बसह धुरन्धर
लए हर जोतिअ
पटिअ सुरसरि धारे ||
भनइ विद्यापति
सुनह महेसर
इ जानि कएल तुअ सेवा |
एतए जे बरु होअ
से बरु होअओ
ओतए सरन मोहि देबा ||
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