Sep 24, 2009

पाहुन आएल भावनी

पाहुन आएल भावनी
बाघ छल बइसए दिअ आनी ||
बसह चढ़ल बुढ़ आबे
धुथुर गजाए भोजन हुनि भाबे ||
भसम विलेपित अंगे
जटा वसथि सिर सुरसिर गंगे |
हाड़माल फणीमाल सोभे
डंबरू बजाव हर जुवतिक लोभे ||
विद्यापति कवी भाने
ओ नहि बुढ़बा जगत-किसाने ||

0 comments:

|| ज़िन्दगी कहती है ज़िन्दगी
से के अगर साथ रहा ज़िन्दगी का
तो साथ रहेगी ज़िन्दगी के ||
Blog Created By "Maithil" In Search Of Jindgi

  © Blogger template 'Personal Blog' by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP