नाड़ट जन्मभिखारी
नाड़ट जन्मभिखारी, वर के कर एहन |
जकरो घर दुइ चारि कुमारि, सेहो वर करए विचारी |
एहन उमतवर के जोहि आयल, हम घर एक दुलारि |
भोजन भाँग विभूति लगाबथि, परिजन भूत मसान |
जखन गौरी सौं भीखि मंगओंता, हरता धियाक गेयान |
कुल परिवार एको नहि थिकइनि, घर सम्पति नहि माय |
जखन गौरि मोरि सासुर जैतहि, बैसति ककर लग जाय |
भनइ विद्यापति सुनिय मनाइन, इहो थिक त्रिभुवन नाथ |
हिनक दोष रोष जनु मानिय, हिनि सौं होयब सनाथ ||
सागर सम दुःख भार हे
आबहु करिअ प्रतिकार हे |
भनइ विद्यापति भन हे
संकट करिअ तरान हे |
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