भंगिया हे भिखारी सोचत मैना
भंगिया हे भिखारी सोचत मैना
एहन रतन धिया तनिक एहन पिया
किए लिलाट लिखल विधना |
एहन गौरी कोना तपोवन जैती
नहि छनि सासु ननदि भगिना |
की हम बिगाड़ल नारद मुनिके
वर जोहि लैला छिया केहना |
भनइ विद्यापति सुनु हे मनाइनि
ई शिव थिक भुवन दानी ना |
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